रिपोर्ट राकेश त्रिपाठी प्रधान संपादक
दिल्ली :लखनऊ से दिल्ली तक हाई-लेवल बैठकों का दौर जारी है, जिससे उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में बड़े फेरबदल की चर्चाएं तेज हो गई हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों डिप्टी सीएम, मोहन भागवत (आरएसएस प्रमुख), और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित कई बड़े नेताओं के साथ पिछले दो दिनों से गहन मंथन कर रहे हैं।
यह माना जा रहा है कि इन बैठकों का मुख्य फोकस आगामी चुनावों और संगठन को मजबूत करने की रणनीति पर है, जिसके तहत मंत्रिमंडल विस्तार और नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की जा सकती है।
14 दिसंबर से पहले प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा संभव
उत्तर प्रदेश भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा जल्द होने की प्रबल संभावना है, माना जा रहा है कि 14 दिसंबर को खरमास शुरू होने से पहले यह फैसला लिया जा सकता है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कार्यकाल समाप्त हो चुका है।
प्रदेश अध्यक्ष की रेस में प्रमुख नाम:
पार्टी एक गैर-यादव ओबीसी या ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाने पर विचार कर रही है ताकि जातीय समीकरणों को साधा जा सके।
साध्वी निरंजन ज्योति (महिला/ओबीसी) – सबसे आगे माने जा रहे नामों में से एक।
बीएल वर्मा (ओबीसी)
दिनेश शर्मा (पूर्व डिप्टी सीएम/ब्राह्मण)
धर्मपाल सिंह (ओबीसी)
बाबूराम निषाद
हरीश द्विवेदी (ब्राह्मण)
गोविंद शुक्ला
केशव प्रसाद मौर्य (ओबीसी) – इनका नाम भी चर्चा में है।
योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल के कयास
लोकसभा चुनाव में आए नतीजों और 2027 के विधानसभा चुनाव की रणनीति के मद्देनजर योगी मंत्रिमंडल में भी बदलाव की अटकलें हैं।
नए चेहरे शामिल: मंत्रिमंडल में कुछ नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है, जिससे जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को और मजबूत किया जा सके।
कुछ मंत्रियों की छुट्टी: कुछ मंत्रियों के खराब प्रदर्शन या उन्हें संगठन में जिम्मेदारी देने के कारण उनकी मंत्रिमंडल से छुट्टी हो सकती है।
खाली पद: वर्तमान में मंत्रिमंडल में सदस्यों की अधिकतम संख्या 60 हो सकती है, जबकि अभी 54 मंत्री हैं, जिससे 6 पद अभी भी खाली हैं।
यह हाई-प्रोफाइल मंथन इस ओर इशारा करता है कि भाजपा उत्तर प्रदेश में सरकार और संगठन दोनों स्तरों पर बड़े बदलाव की तैयारी में है ताकि आगामी चुनावी चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके।