रिपोर्ट:राष्ट्रीय प्रभारी
सोमेंद्र द्विवेदी दिल्ली
एसीजेएम शुभम वर्मा की अदालत ने मामले में लिया संज्ञान
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सुल्तानपुर। किराए पर मकान देने की आड़ में फोटो व पहचान पत्र लेकर दो लाख रुपये जमा करा लेने के बाद मकान छोड़ देने के बावजूद रुपए वापस न करने के इरादे से फर्जी निकाहनामा तैयार कर 10 लाख की वसूली मांगने वाले आरोपियों के खिलाफ एसीजेएम शुभम वर्मा की अदालत ने संज्ञान लिया है। अदालत ने आरोपी पति-पत्नी समेत चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्जकर निष्पक्ष जांच के लिए थाना प्रभारी को आदेशित किया है।
कोतवाली देहात के मलिकपुर गांव निवासी वादी इरशाद अशरफी के आरोप के मुताबिक वह महाराष्ट्र की ए.सी. कंपनी में ठेके पर कार्य करते थे। इसी दौरान उन्होंने महाराष्ट्र के ठाणे जिले के हनुमान मंदिर-बोइसर निवासी आरोपी अली मोहम्मद शेख उर्फ निसार अहमद के यहां किराए का मकान तय किया। मकान किराए पर देते समय आरोपी वली मोहम्मद व उनकी पत्नी आबिदा बेगम ने वादी की की फोटो व आधार कार्ड ले लिया एवं दो लाख रुपये भी जमा करा लिए। आरोप के मुताबिक कुछ महीनों बाद जब वादी उनका मकान छोड़कर दूसरी जगह रहने लगा और अपने रुपए वापस मांगे तो वह लोग टाल-मटोल करने लगे और रुपए नहीं लौटाए।
वादी के मुताबिक रुपए वापस न करने पड़े इसलिए आरोपी वली मोहम्मद उर्फ निसार अहमद ने फ़ोटो व पहचान पत्र का दुरुपयोग कर साजिशन अपनी पत्नी आबिदा बेगम एवं वादी के नाम से एक फर्जी निकाहनामा भी तैयार करा लिया और उसी का सहारा लेकर फर्जी मुकदमा दर्ज करा देने की धमकी देते हुए 10 लाख रुपए की डिमांड करने लगे। आरोप के मुताबिक इसी विवाद को लेकर आरोपियों ने फोन पर उन्हें धमकी दी एवं उनके घर आकर बवाल भी काटा। वादी के मुताबिक फर्जी निकाहनामा देखकर वादी व अन्य लोग भी दंग रह गये।
इस मामले में पुलिस से शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। नतीजतन वादी इरशाद अशरफी ने अदालत की शरण लिया। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट शुभम वर्मा ने मामले में संज्ञान लेते हुए आरोपी पति-पत्नी एवं उनके दो अज्ञात साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर निष्पक्ष जांच के लिए थाना प्रभारी कोतवाली देहात को आदेश दिया है।