अनुसूचित जाति की महिला की जमीन धोखाधड़ी से बेची फर्जी दस्तावेज से बैनामा, जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने का आरोप

रिपोर्ट /राकेश त्रिपाठी 

सम्पादक 

महाराजगंज जनपद के चौक बाजार निवासी सूरज कुमार सिंह (बहेलिया) ने चौक थाना अध्यक्ष से न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी अनुसूचित जाति की माता की जमीन को धोखाधड़ी से बेच दिया गया है और इस संबंध में बात करने पर उन्हें जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया गया।

सूरज कुमार सिंह के अनुसार, वर्ष 2022 में मोनू पुत्र बब्बन सिंह उनकी माता को यह कहकर महाराजगंज ले गया कि 60 वर्ष से अधिक उम्र की अनुसूचित जाति की महिलाओं को सरकारी अनुदान मिल रहा है। इसी बहाने उसने उनकी माता से फर्जी दस्तावेज तैयार करवाकर जमीन का बैनामा करवा लिया। जांच में पता चला कि यह बैनामा शमशाद निवासी सिसवा अमहबा और उसकी पत्नी सलामुनिशा (पिछड़ा वर्ग) के नाम फर्जी तरीके से किया गया है। नियमानुसार, अनुसूचित जाति की जमीन को बिना शासन की अनुमति के किसी अन्य वर्ग को बेचा नहीं जा सकता। खतौनी में नाम परिवर्तन न होने के कारण उन्हें इस धोखाधड़ी की जानकारी अब तक नहीं थी। यह फर्जीवाड़ा 6 अक्टूबर 2025 को तब सामने आया, जब सूरज कुमार सिंह तहसील में अपनी जमीन की जांच करवा रहे थे। जब सूरज कुमार सिंह ने इस संबंध में शमशाद से बात की, तो उसने कथित तौर पर गाली-गलौज करते हुए जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया और धमकी दी कि “अब जमीन बैनामा हो चुकी है, जो उखाड़ना है उखाड़ लेना।”

इस पूरे प्रकरण को धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जी कागजात तैयार करने और अनुसूचित जाति के व्यक्ति को जातिसूचक शब्द कहकर अपमानित करने का गंभीर अपराध बताते हुए, सूरज कुमार सिंह ने मोनू पुत्र बब्बन सिंह, शमशाद और सलामुनिशा पत्नी शमशाद के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने धोखाधड़ी से किए गए बैनामे को निरस्त करने और अपनी माता की भूमि को सुरक्षित कराने का भी निवेदन किया है।

 

इस प्रकरण में न्यूज 18 प्लस के प्रधान संपादक को चौक थानाध्यक्ष ओमप्रकाश गुप्ता ने बताया कि, मामले की जांच कराई गई है, कोई जातिसूचक शब्दों का मामला नहीं है, सूरज कुमार सिंह द्वारा प्रार्थना पत्र मिला, मामले की जांच में स्पष्ट यह हुआ कि, सूरज कुमार सिंह कुल चार भाई हैं, दो भाई बाहर रहते हैं और दो भाई किसी अन्य व्यवसाय में लगे हैं। सूरज कुमार सिंह की माता जी द्वारा भूमि विक्रय किया गया है, जहां बैनामा पेपर पर स्पष्ट लिखा है कि, क्रेता व विक्रेता अनुसूचित जाति के नहीं हैं। प्रकरण राजस्व मामले से संबंधित है।

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