राष्ट्रीय प्रभारी:सोमेंद्र द्विवेदी दिल्ली
भारत और चीन, रूस और ब्राजील अगर डोनाल्ड ट्रंप को थोड़ा और घसीटेंगे, वह झुक जाएंगे!
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को तगड़ा झटका लगा है। जहां एक ओर ट्रंप ने भारतीय फार्मा कंपनियों पर 100 फीसदी तक टैरिफ लगाया था, वहीं दूसरी ओर चीन ने भारतीय फार्मा कंपनियों पर टैरिफ हटा लिया है।
* भारत को दुनिया की फार्मेसी के रूप में जाना जाता है
* भारत दुनिया भर को जेनेरिक दवाएं और टीके का निर्यात करता है
* अब चीन की ओर से आयात शुल्क शून्य करते हुए अपना बाजार खोलने से भारतीय फार्मा कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी
* उन्हें दुनिया की दूसरी सबसे अधिक आबादी वाले चीन के बड़े बाजार में समान अवसर और बेहतर पहुंच मिलेगी
* चीन ने भारत के दवा उत्पादों पर 30 फीसदी आयात शुल्क को घटाकर शून्य कर दिया है
* चीन ने यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से फार्मा आयात पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने के ठीक बाद उठाया है
* इस फैसले के बाद भारत की दवा बनाने वाली कंपनियां बिना किसी सीमा शुल्क के चीन को दवाएं निर्यात कर सकेंगी
*ट्रंप के टैरिफ से अमेरिकी बाजार में लागत बढ़ने के बीच चीन का यह फैसला भारतीय कंपनियों को सस्ती दवाओं की मजबूत मांग वाले वैकल्पिक बाजार के तौर पर उभर सकता है। इससे आने वाले समय में भारतीय दवा निर्यात में अरबों डॉलर की बढ़ोतरी हो सकती है।*
■ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने फार्मा उत्पादों सहित कई चीजों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया था। इनमें फार्मा उत्पादों पर 100 फीसदी का शुल्क प्रमुख था। यह बढ़ा हुआ शुल्क एक अक्तूबर से प्रभावी होगा।
■ ट्रंप के दवाओं के आयात पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने के फैसले का भारत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। खासकर देश के दवा निर्माण उद्योग पर।
■ बीते वित्त वर्ष में भारतीय उद्योगों की तरफ से दुनिया को करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये (27.9 अरब डॉलर) की दवाओं का निर्यात हुआ था। इसमें अमेरिका को ही करीब 77 हजार करोड़ रुपये (8.7 अरब डॉलर) की दवाएं निर्यात हुई थीं।
■ भारत के दवा निर्माताओं के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार रहा है। 2025 के पहले छह महीनों में ही अमेरिका को कुल 32 हजार 505 करोड़ रुपये (3.7 अरब डॉलर) की दवाओं का निर्यात हो चुका है। ऐसे में 100 फीसदी टैरिफ लगने से अमेरिका में भारत की सस्ती दवाएं भी महंगी दरों पर बिकेंगी।
■ भारत को दुनिया की फार्मेसी के रूप में जाना जाता है। भारत दुनिया भर को जेनेरिक दवाएं और टीके का निर्यात करता है। अब चीन की ओर से आयात शुल्क शून्य करते हुए अपना बाजार खोलने से भारतीय फार्मा कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी। उन्हें दुनिया की दूसरी सबसे अधिक आबादी वाले चीन के बड़े बाजार में समान अवसर और बेहतर पहुंच मिलेगी।
व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से भारत-चीन व्यापार संबंधों में संतुलन आएगा, जो अब तक बीजिंग के पक्ष में झुके रहते हैं। इनका यह भी मानना है कि यह बदलाव भारत में हजारों नौकरियां पैदा करेगा, आमदनी बढ़ाएगा और वैश्विक स्वास्थ्य आपूर्ति शृंखला में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा।