रिपोर्ट राकेश त्रिपाठी प्रधान संपादक
बड़ी कार्रवाई के बावजूद मुख्य आरोपी का भाग निकलना विभाग की ‘असफलता’ को उजागर करता है; तस्करी के नेटवर्क पर जाँच की मांग।
1.राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र में आबकारी विभाग द्वारा की गई एक बड़ी कार्रवाई में 144 लीटर अवैध देशी और अंग्रेजी शराब जब्त की गई है। हालांकि, विभाग की इस सफलता को उस समय झटका लगा, जब मौके से मुख्य तस्कर अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गया। इस घटना ने आबकारी विभाग की निगरानी और कार्रवाई की रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसे कई लोग विभाग की बड़ी असफलता मान रहे हैं।”
2.कार्रवाई राज्य की सीमा से सटे स्थान पर हुई।
शराब का ब्यौरा: जब्त शराब की किस्म (नेपाली /देशी/अंग्रेजी), मात्रा (144 लीटर), और अनुमानित बाज़ार मूल्य।
जबकि तस्कर की पहचान भी नहीं हुई है?
इतनी बड़ी मात्रा में शराब जमा होने का मतलब है कि तस्करी का नेटवर्क लंबे समय से सक्रिय था। क्या आबकारी विभाग को इसकी भनक नहीं थी?
फरार होना: इतनी बड़ी टीम की मौजूदगी में तस्कर का भाग निकलना कार्यशैली पर संदेह पैदा करता है। यह लापरवाही है या मिलीभगत?
4. आगे की कार्रवाई और
भविष्य में क्या होगा?
निष्क्रियता की बजाय: विफल रणनीति, निगरानी में चूक, गंभीर लापरवाही।
फरार की बजाय: अंधेरे का फायदा उठाकर चंपत, पुलिस की घेराबंदी तोड़कर भाग निकला, सुरक्षा व्यवस्था को धत्ता बताया।
बरामद की बजाय: भारी मात्रा में जब्त, बड़ी खेप पकड़ी गई, खुलासा हुआ।