रिपोर्ट/ राजीव त्रिपाठी महाराजगंज
सह संपादक
महराजगंज: “न्याय हर नागरिक का अधिकार है, चाहे वह सलाखों के पीछे ही क्यों न हो।”— इसी उच्चतम संवैधानिक भावना को चरितार्थ करते हुए, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, महराजगंज के सचिव के मार्गदर्शन में, सहायक लीगल डिफेंस काउंसिल (LADC) ज्ञानेन्द्र कुमार मिश्र ने आज जिला कारागार का गहन निरीक्षण कर जेल में निरुद्ध बंदियों से वार्ता किया।
जेल की दीवारें और न्याय की पुकार:
निरीक्षण के दौरान, जेल अधीक्षक बी. के. गौतम ने बताया कि वर्तमान में कारागार में 611 बंदी निरुद्ध हैं, जिनमें से 395 बंदी अभी भी न्याय की अंतिम आशा लिए हुए विचाराधीन स्थिति में हैं। इन 395 विचाराधीन बंदियों में 238 पुरुष, 26 महिलाएँ और 31 किशोर शामिल हैं। दोष सिद्ध बंदियों (216) की तुलना में विचाराधीन बंदियों की यह बड़ी संख्या, त्वरित और सुलभ न्याय की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
सुलभ न्याय का संकल्प:
सहायक लीगल डिफेंस काउंसिल मिश्र ने डिप्टी महिला जेलर रत्ना सिंह और प्रभारी जेलर अविनाश की उपस्थिति में कारागार के बैरकों का दौरा किया। यह दौरा मात्र एक निरीक्षण नहीं, बल्कि न्याय के प्रहरी का एक सचेत पहुँच कार्यक्रम था।
उन्होंने प्रत्येक बंदी से व्यक्तिगत रूप से संवाद स्थापित करते हुए उन्हें निःशुल्क विधिक सहायता के मौलिक अधिकार की विस्तृत जानकारी दी। यह सहायता, गरीब और वंचित बंदियों के लिए न्याय प्राप्ति का एकमात्र सहारा है, जो उन्हें सक्षम सरकारी अधिवक्ता उपलब्ध कराती है।
“कोई भी बंदी धन के अभाव में अपने विधिक अधिकार से वंचित नहीं रहेगा।” इस संकल्प के साथ, इच्छुक बंदियों को जेलर के माध्यम से सरकारी निःशुल्क अधिवक्ता हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को तुरंत आवेदन प्रेषित करने का आह्वान किया गया।