रिपोर्ट नरसिंह उपाध्याय महराजगंज
प्रयागराज : धर्म परिवर्तन के बाद ईसाई बने लोगों को एससी कोटे का लाभ नहीं मिल पाएगा. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को इसे लेकर अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की पूरी प्रशासनिक मशीनरी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि राज्य में जो लोग ईसाई बन गए, वे अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए बने फायदे लेना जारी न रखें.कोर्ट ने कहा कि धर्म बदलने के बाद एससी दर्जे को बनाए रखना संविधान के साथ धोखाधड़ी है. एमएम रोकने के लिए 4 महीने की सख्त समय सीमा तय की. यह निर्देश न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरी ने महराजगंज के जितेंद्र साहनी नाम के एक व्यक्ति की अर्जी को खारिज करते हुए दिया.
देवी-देवताओं का मजाक उड़ाने के आरोप : दरअसल, जितेंद्र पर हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाने और दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप है. साहनी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153-ए और 295-ए के तहत पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया है. इस पर कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है. याची के वकील का कहना था कि साहनी ने सिर्फ अपनी जमीन पर यीशु मसीह के वचनों का प्रचार करने की इजाजत मांगी थी. उन्हें झूठा फंसाया जा रहा है.हलफनामे में खुद को बताया था हिंदू : कोर्ट ने कहा कि साहनी ने अपनी अर्जी के साथ दाखिल हलफनामे में अपना धर्म ‘हिंदू’ बताया था, लेकिन पुलिस जांच में इसके उलट तस्वीर सामने आई. सरकारी वकील ने कोर्ट का ध्यान एक गवाह के बयान की ओर दिलाया, जिसने गवाही दी थी कि साहनी जो मूल रूप से केवट समुदाय से थे, उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया. वह ‘पादरी’ (पुजारी) के तौर पर काम कर रहे थे.हिंदुओं को ईसाई बनाने की साजिश : उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वह गरीब हिंदू धर्म के लोगों को लालच देकर उन्हें ईसाई बनाना चाहता है. इस बात को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने आदेश में गवाह के बयान को दोहराया, जिसमें साहनी पर गांव वालों को इकट्ठा करने और धर्म बदलने के लिए हिंदू देवी-देवताओं के बारे में गंदी, गाली-गलौज वाली और बेतुकी भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला : कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति जो हिंदू, सिख या बौद्ध धर्म से अलग धर्म मानता है, उसे शेड्यूल्ड कास्ट का सदस्य नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने सी. सेल्वरानी बनाम स्पेशल सेक्रेटरी-कम-डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर 2024 में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का हवाला दिया. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ईसाई धर्म अपनाने पर कोई भी व्यक्ति अपनी मूल जाति का नहीं रहता है.यह रिजर्वेशन पॉलिसी के सिद्धांतों के खिलाफ : इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा था कि सिर्फ फायदे लेने के मकसद से धर्म बदलना संविधान के साथ धोखा है. रिजर्वेशन पॉलिसी के सिद्धांतों के खिलाफ है. इसके अलावा, हाईकोर्ट ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के 2025 के अक्कला रामी रेड्डी बनाम स्टेट ऑफ आंध्र प्रदेश मामले में दिए गए फैसले का भी जिक्र किया, जिसमें यह फैसला सुनाया गया कि कोई व्यक्ति, जिसने ईसाई धर्म अपना लिया है और सक्रिय रूप से उसे मानता हो, वह अनुसूचित जाति वर्ग का सदस्य नहीं रह सकता है.
लिहाजा इसे शेड्यूल्ड कास्ट, शेड्यूल्ड ट्राइब (प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज) एक्ट के नियमों का इस्तेमाल करने से रोक दिया गया. कोर्ट ने कैबिनेट सेक्रेटरी (भारत सरकार) और चीफ सेक्रेटरी (यूपी सरकार) को अनुसूचित जातियों के मामले और कानून के नियमों को देखने का निर्देश दिया. इसके अलावा, माइनॉरिटी वेलफेयर डिपार्टमेंट के प्रमुख को यह पक्का करने और कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया कि माइनॉरिटी स्टेटस और अनुसूचित जाति स्टेटस के बीच का अंतर सख्ती से लागू हो.साहनी के खिलाफ जांच के आदेश : कोर्ट ने यूपी के सभी जिलाधिकारियों को 4 महीने के अंदर कानून के मुताबिक काम करने का निर्देश दिया. इसकी सूचना उनको मुख्य सचिव को देनी होगी. कोर्ट ने याची के हलफनामे को गुमराह करने वाला मानते हुए महराजगंज के डीएम को तीन महीने के अंदर उनके धर्म की जांच करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने आदेश दिया कि अगर साहनी जालसाजी के दोषी पाए जाते हैं, जिसमें उन्होंने ईसाई पादरी होते हुए भी कोर्ट के कागजात में हिंदू होने का दावा किया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में कोर्ट में ऐसे हलफनामे दाखिल न हों.