रिपोर्ट/ सुनील कुमार पाठक
सिसवा बाजार महाराजगंज
डॉ. धनंजय कुशवाहा
विभागाध्यक्ष, फिजियोथेरेपी विभाग
केएमसी मेडिकल कॉलेज
महराजगंज सर्दियों के मौसम में तापमान में गिरावट के साथ ही मांसपेशियां व न्यूरोलॉजिकल समस्याओं की शिकायतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जाती है। ठंड के प्रभाव से रक्त वाहिकाओं में संकुचन होता है, जिसके परिणामस्वरूप ऊतकों तक रक्त एवं ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित होती है। यह स्थिति जोड़ों के दर्द, मांसपेशियों की जकड़न, अकड़न तथा पुरानी बीमारियों के लक्षणों को और अधिक तीव्र कर देती है।
सर्दियों में उत्पन्न होने वाली इन समस्याओं के प्रबंधन हेतु केएमसी मेडिकल कॉलेज में एक वैज्ञानिक, सुरक्षित और दीर्घकालिक उपचार पद्धति के रूप में फिजियोथेरेपी विभाग स्थापित है। यह चिकित्सा प्रणाली शरीर की संरचना और कार्यप्रणाली पर आधारित होती है तथा बिना दवा के दर्द नियंत्रण, गतिशीलता में सुधार और कार्यक्षमता के संरक्षण पर केंद्रित रहती है। नियमित फिजियोथेरेपी से जोड़ों की गति बनी रहती है, मांसपेशियों की शक्ति में वृद्धि होती है और चोट अथवा विकलांगता की आशंका कम होती है।
तेज़ी से बदलती ग्रामीण व शहरी जीवनशैली, लंबे समय तक बैठकर कार्य करना, सीमित शारीरिक गतिविधि और तनावपूर्ण दिनचर्या सर्दियों में शारीरिक समस्याओं को और जटिल बना देती है। ऐसे परिदृश्य में फिजियोथेरेपी के अंतर्गत अपनाई जाने वाली हीट थेरेपी, इलेक्ट्रोथेरेपी, अल्ट्रासाउंड थेरेपी तथा चिकित्सकीय व्यायाम रक्त संचार को सक्रिय कर मांसपेशियों की जकड़न को कम करते हैं। यह उपचार न केवल दर्द से राहत प्रदान करता है, बल्कि व्यक्ति को पुनः सक्रिय जीवनशैली की ओर लौटने में भी सहायता करता है।
फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ डॉ धनंजय कुशवाहा के अनुसार बुजुर्गों, गठिया से पीड़ित मरीजों, रीढ़ एवं जोड़ों के पुराने दर्द से ग्रसित व्यक्तियों तथा स्ट्रोक, पार्किंसन और अन्य न्यूरोलॉजिकल विकारों से प्रभावित रोगियों के लिए सर्दियों में फिजियोथेरेपी अत्यंत आवश्यक हो जाती है। समय पर हस्तक्षेप न होने की स्थिति में यह समस्याएँ दीर्घकालिक रूप ले सकती हैं, जिससे सर्जरी अथवा दीर्घकालीन दवा सेवन की आवश्यकता उत्पन्न हो सकती है।
आधुनिक फिजियोथेरेपी उपचार में मसल स्ट्रेंथनिंग, स्ट्रेचिंग, बैलेंस ट्रेनिंग और पोस्चर करेक्शन जैसी तकनीकों का समावेश किया जाता है। साथ ही मरीजों को उनकी दिनचर्या, कार्यशैली और जीवनशैली से संबंधित आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है, जिससे उपचार के प्रभाव को दीर्घकाल तक बनाए रखा जा सके।
सर्दियों में दर्द को अनदेखा करना भविष्य में गंभीर शारीरिक अक्षमताओं का कारण बन सकता है। समय पर फिजियोथेरेपी अपनाकर न केवल दर्द और सूजन को नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता में भी व्यापक सुधार संभव है।
अतः यह कहना उचित होगा कि सर्दियों में फिजियोथेरेपी केवल उपचार का माध्यम नहीं, बल्कि आधुनिक ग्रामीण व शहरी जीवनशैली में स्वास्थ्य संरक्षण की एक अनिवार्य आवश्यकता है।