रिपोर्ट राकेश त्रिपाठी
प्रधान संपादक
महराजगंज/निचलौल: सरस्वती ग्रुप ऑफ कॉलेजेज की मेधावी छात्राओं ने एक बार फिर सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की स्वर्णिम परंपरा को कायम रखते हुए महाविद्यालय को शिखर पर रखकर इतिहास रच दिया है। विश्वविद्यालय द्वारा घोषित मेधा सूची में सरस्वती देवी पी.जी. कॉलेज, निचलौल की दो प्रतिभाशाली छात्राओं ने 300 से अधिक महाविद्यालयों में शीर्ष स्थान प्राप्त करते हुए दो स्वर्ण पदक (गोल्ड मेडल) हासिल किए हैं।
इस अवसर पर सरस्वती ग्रुप ऑफ कॉलेजेज के प्रबंध निदेशक, शिक्षाविद एवं समाजसेवी पवन दूबे ने कहा, मौन क्रांति सदैव शिक्षा से होती है। शिक्षा लोगों को अंधविश्वास, रूढ़िवादिता और अन्याय को चुनौती देने के लिए तर्क, आलोचनात्मक सोच और जागरूकता प्रदान करती है। यह बाहरी बल के बजाय आंतरिक समझ पर आधारित परिवर्तन लाती है। जो क्रांति बंदूकों या नारेबाजी से आती है, वह अक्सर अस्थायी होती है। इसके विपरीत, शिक्षा द्वारा प्रेरित परिवर्तन लोगों के विचारों और मूल्यों में गहराई तक जड़ें जमा लेता है, जिससे वह दीर्घकालिक और स्थायी होता है। यह क्रांति संघर्ष और हिंसा के बजाय समझौते, संवाद और नवाचार का मार्ग प्रशस्त करती है। यह समाज में एक बेहतर भविष्य के लिए शांतिपूर्ण तरीके से विकास को बढ़ावा देती है। शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति को सशक्त बनाती है। जब लाखों लोग स्वयं शिक्षित होते हैं और अपने अधिकारों और क्षमताओं को समझते हैं, तो उनका सामूहिक प्रभाव सबसे बड़ी क्रांति होता है—एक क्रांति जो अदृश्य हो सकती है, लेकिन सर्वव्यापी होती है। उन्होंने अंत में कहा सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर अब तक गोल्ड मेडल की परंपरा को बनाए रखना हमारे कॉलेज की संस्कृति और विद्यार्थियों का संस्कार बन चुका है। स्वर्णिम उपलब्धियों की यह यात्रा आगे भी निरंतर जारी रहेगी।
गौरवपूर्ण इस अवसर पर प्राचार्य सुनील पांडेय, उप प्राचार्य आदित्य सिंह, प्रवक्ता ब्रजेश उपाध्याय, डॉ. रामदरश, दिव्य दीपक त्रिपाठी, अवनीश पांडेय, मनोज यादव, सर्वेश तिवारी, देवेंद्र पांडेय, संदीप कुमार, प्रमोद शर्मा, सैयद अली, विशाल कुमार कसौधन, पूनम राणा, पल्लवी पाण्डेय सहित पूरे महाविद्यालय परिवार ने दोनों छात्राओं को हार्दिक बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की मंगलकामनाएँ दीं।