रिपोर्ट सुनील कुमार पाठक
महिलाओं ने खींची आस्था की पालकी
नगर पालिका परिषद सिसवा बाजार क्षेत्र में गुरुवार को मां लक्ष्मी की प्रतिमाओं का भव्य विसर्जन शोभायात्रा के साथ संपन्न हुआ। नगर के कोने-कोने से निकले जुलूसों ने पूरे दिन माहौल को भक्तिमय बना दिया। ढोल-नगाड़ों की थाप पर श्रद्धालु नाचते-गाते हुए मां लक्ष्मी की प्रतिमाओं को विदा करने निकले। नगर क्षेत्र में लगभग ढाई दर्जन प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया।
विजापार स्थित खेखड़ा नाले तक पहुंचने वाले इन विसर्जन जुलूसों में महिलाओं की विशेष भागीदारी रही। जगह-जगह श्रद्धालु महिलाओं ने मां लक्ष्मी की पालकी खींची और मंगल गीतों के साथ देवी का आशीर्वाद मांगा। बच्चों और युवाओं में भी खासा उत्साह देखने को मिला। हर गली-मोहल्ले में मां लक्ष्मी के जयकारे गूंजते रहे — “जय मां लक्ष्मी!”
नगर के विभिन्न इलाकों से निकले जुलूस
नगर क्षेत्र के रामजानकी मंदिर परिसर, रामपुरवा चौराहा, गोपाल नगर, मिस्कारी टोला, रेलवे स्टेशन, श्याम मंदिर, फल मंडी, सायर स्थान और मस्जिदिया ढाला समेत कई स्थानों से विसर्जन जुलूस निकाले गए। ये सभी जुलूस प्रशासन द्वारा तय किए गए मार्ग से गुजरते हुए सिसवा स्टेट प्रांगण पहुंचे, जहां सभी प्रतिमाएं एकत्रित की गईं।
नगर प्रशासन की देखरेख में नंबरवार जुलूसों को आगे बढ़ाया गया ताकि भीड़भाड़ के बावजूद व्यवस्था बनी रहे। इसके बाद ये जुलूस विजापार स्थित खेखड़ा नाले की ओर रवाना हुए।
वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुआ विसर्जन
खेखड़ा नाले पर पहुंचने के बाद मां लक्ष्मी की प्रतिमाओं का वैदिक मंत्रोच्चार और शास्त्रीय विधि-विधान के साथ विसर्जन किया गया। स्थानीय पंडितों और पुरोहितों ने नगर की सुख-समृद्धि, शांति और खुशहाली की कामना करते हुए मां लक्ष्मी की आराधना की। इस दौरान श्रद्धालुओं ने पुष्प अर्पित कर मां को विदाई दी।
विसर्जन स्थल पर नगर पालिका परिषद और पुलिस प्रशासन की ओर से विशेष इंतजाम किए गए थे। जल पुलिस और गोताखोरों की टीम मौजूद रही ताकि किसी भी तरह की दुर्घटना से बचा जा सके।
महिलाओं की रही खास भागीदारी

इस अवसर पर महिलाओं की श्रद्धा और भक्ति देखने लायक थी। कई स्थानों पर उन्होंने अपने हाथों से मां लक्ष्मी की पालकी सजाई और विसर्जन जुलूस में शामिल हुईं। गोपाल नगर की निवासी सीता देवी ने बताया, “हर साल मां लक्ष्मी की पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है। विसर्जन मां को विदा करना नहीं, बल्कि अगले वर्ष पुनः स्वागत का संकल्प है।”
भक्ति, उत्सव और अनुशासन का संगम
पूरा आयोजन पूर्ण रूप से शांतिपूर्ण और अनुशासित रहा। नगर पालिका के सफाई कर्मियों ने विसर्जन के बाद स्थल की सफाई कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी श्रद्धालुओं को पेयजल और प्रसाद की व्यवस्था में सहयोग दिया।
नगर क्षेत्र में देर शाम तक गाजे-बाजे और ढोल की थाप गूंजती रही। छोटे-बड़े सभी मंदिरों में दीप प्रज्वलित किए गए और भक्तों ने मां लक्ष्मी की आरती कर नगर के कल्याण की कामना की।
सांस्कृतिक एकता का बना प्रतीक
मां लक्ष्मी का यह विसर्जन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बना, बल्कि नगर में सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का उदाहरण भी प्रस्तुत किया। हर समुदाय के लोग इसमें शामिल होकर आपसी सौहार्द और भाईचारे का संदेश देते नजर आए।
भक्तों ने कहा कि विसर्जन के साथ मां लक्ष्मी को विदा करना दरअसल अगले वर्ष पुनः उनके स्वागत का निमंत्रण है। देर शाम तक वातावरण भक्तिमय बना रहा और जयकारों की गूंज से सिसवा बाजार की गलियां रोशन होती रहीं।
सुरक्षा के मद्देनजर उपजिलाधिकारी निचलौल पुलिस क्षेत्राधिकारी निचलौल सहित आठ थानों की पुलिस महिला कास्टेबल एवं एल आयु विमलेश कुमार सहित भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात रही।