*दिल्ली में हुए धमाके में शामिल है ये बड़ी लापरवाहियां,*

रिपोर्ट /राकेश त्रिपाठी 

प्रधान सम्पादक 

नौतनवा/महराजगंज। देश की राजधानी दिल्ली में हुए धमाके ने पूरे देश को हिला दिया। सौभाग्य से अन्य हिस्सों में संभावित विस्फोटों की साजिश समय रहते नाकाम कर दी गई, अन्यथा जन-धन हानि के साथ देश की आंतरिक शांति पर गहरा संकट खड़ा हो सकता था। ऐसे समय में देश की सीमाओं पर सुरक्षा एजेंसियों और स्थानीय प्रशासन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। भारत-नेपाल की खुली सीमा वर्षों से संवेदनशील मानी जाती है। यहां से न केवल अवैध सामान,वस्तुएं,बल्कि संदिग्ध व्यक्तियों की भी बरामदगी होती रही है। बावजूद इसके बड़े एवं भारी वाहनों के माध्यम से तस्करी का सिलसिला अपने चरम सीमा पर है।सुरक्षा एजेंसियों की मौजूदगी के बावजूद नेपाल नंबर की पिकअप वाहन रातों-रात सीमा पार कर भारत में दाखिल हो रही हैं। यह सवाल खड़ा करता है कि कड़ी चौकसी के बीच आखिर ये वाहन देश की सीमा में प्रवेश कैसे कर रहे हैं? स्थानीय लोगों का आरोप है कि तस्करी का यह खेल अधिकारियों और तस्करों की मिलीभगत से ही फल-फूल रहा है। चंद पैसों के लालच में कुछ सुरक्षा कर्मी अपनी जिम्मेदारी और ईमानदारी को ताक पर रख देते हैं।

जिससे न केवल देश की राजस्व प्रणाली को भारी नुकसान होता है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा भी खतरे में पड़ती है। जागरूक नागरिकों द्वारा शिकायत करने पर भी अक्सर कार्रवाई होने के नाम पर शिकायतकर्ता की जानकारी तस्करों तक पहुंचा दी जाती है,जिससे उनका जीवन जोखिम में आ जाता है। ताजा मामला बरगदवा थाना क्षेत्र का है, जहां रात के अंधेरे में दर्जनों नेपाली रजिस्ट्रेशन वाली पिकअप गाड़ियां अवैध सामानों के साथ भारत में प्रवेश करती हैं। तय स्थानों पर इन्हें भारतीय गाड़ियों में लोड कर आगे भेज दिया जाता है। हाल ही में थाना क्षेत्र में कई नेपाली पिकअप बरामद हुईं, जिन्हें पुलिस ने पहले लावारिस दिखाया, फिर कागजात उपलब्ध कराए जाने के बाद छोड़ दिया। हैरानी की बात यह है कि ये जांच तक नहीं की गई कि ये वाहन बिना अनुमति भारत की सीमा में इतनी अंदर तक क्या कर रही थीं और क्या माल लेकर आई थीं। लोगो का कहना है कि ऐसी लापरवाही देश के लिए खतरे की घंटी है।

इन गाड़ियों के माध्यम से तस्करी के साथ-साथ आतंकियों या विस्फोटक सामग्री के प्रवेश की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। करोड़ों का राजस्व नुकसान अलग से है। देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वाले इस नेटवर्क पर नकेल कसने की जिम्मेदारी संबंधित एजेंसियों की है, लेकिन जब जिम्मेदार ही आंखें मूंद लें, तो सीमा क्षेत्र में सुरक्षा कैसे यह सुनिश्चित होगी यह बड़ा सवाल है।

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